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Dr CB Singh

Senior Professor & Scientist JNKWW

Year of Association : ----------------

My Story

मेरे मित्र अभी आप हमारे माननीय  कुलपति प्रोफेसर बिसेन जी के द्वारा डॉक्टर जी डी अग्रवाल जी के बारे में उनकी भावनाओं सेअवगत हुए मेरी डॉ अग्रवाल जी से मुलाकात या यह कहें की जान पहचान काफी विलंब से हुई जब से हुई वह कभी-कभी जिक्र किया करते थे कि ऐसा क्यों हुआ मैंने कहा जो होना होता है वह हो जाता है तारीख 20 का दिन था उनसे बात हुई थी यह सिलसिला सप्ताह के प्रत्येक दिन दिन में कम से कम एक बार आज तक जब तक वह जीवित रहे बातचीत होती रही उस दिन भी बात हुई थी वह बहुत अच्छे रहे किसी फॉरेस्ट रिसोर्ट में रुके हुए थे जिक्र किया था बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन रात को ही उसी दिन 1:00 बजे 1:30 बजे के करीब उनको कुछ परेशानी हुई ईश्वर की कृपा या या देन वे हमारे बीच नहीं रहे उनके व्यवहार जिस प्रकार के थे उनका व्यक्तित्व जिस प्रकार का था विश्वविद्यालय में मैं कहूंगा कि ऐसे व्यक्ति बहुत ही कम लोग होते हैं जो बात कहते थे एक बार कह दिया वह हमेशा उस पर ही अडिग रहते थे झूठी बात करने वाले पर बहुत ही गुस्सा कर कर जाते थे मैं एक उदाहरण उनके बारे में बताना चाहता हूं की वह किस प्रकार के थे मैं दीन था और हमारे विश्वविद्यालय में हार्वेस्ट इन के समय के समय दिल्ली से   टीम आती थी शनिवार का दिन रहा होगा उनके लिए बिल का चेक तैयार था सेल्फ का दिल्ली से आए थे ने कुछ पैसे मिलने वाले थे वे बोले सर कल इतवार है हम चेक लेकर क्या करेंगे पुणे कैश देना था हमारे पास कैश नहीं था ₹20000 अग्रवाल साहब बैठे हुए थे उन्होंने मुझसे बात की और बोले यह ₹20000 मुझसे लीजिए जब पैसा मिलेगा तब मुझे दे दीजिएगा वह इस प्रकार के थे ऐसे बहुत कम लोग हैं जो एकदम स्ट्रेट वे काम करते थे वह फूड साइंस डिपार्टमेंट में फूड साइंटिस्ट थे तथा नई देन कृषि से संबंधित पेड़ पौधों पल्लो में जो विषाक्त चीजें होती थी उसकी उनकी लैब थी डॉ सच्चिदानंद डॉक्टर मित्रा उनके साथ थे वह उस लेप को संभाल कर चलाते थे विश्वविद्यालय में

 जब भी मुलाकात हुई छुट्टी के दिन पनागर में एक जगह चाय भजिया वाला बहुत फेमस था तैयार होते थे और कहते थे चलना ही है वहां ऐसे तमाम ऐसे तमाम अवसर आते थे लेकिन पेमेंट बे खुद ही करते थे एक्सेप्ट नहीं करते थे कहते थे मैं सीनियर हूं वैसे बहुत हंसमुख उनकी विचारधारा उनका व्यक्तित्व कहा नहीं जा सकता मैं उनका वर्णन नहीं कर सकता जब यह समाचार मिला की डॉ अग्रवाल नहीं रहे तो बहुत दुख हुआ एक तरह से मुझे ऐसा लगा की कुछ ऐसा नुकसान हो गया है जो अभी होना नहीं था और हो गया बहुत दुख हुआ फिर कर भी क्या शक्ति हैं ऊपर वाले की जो कृपा पृथ्वी पर जो भी जीव है एक ना एक दिन तो जाना होगा उसमें कोई रुकावट पैदा नहीं कर सकता है हमारा विचार हमारा साइंस साहित्य सभी आवाज उठाते हैं कि एक ना एक दिन तो जाना ही है कैसे जाना है डिपेंड करता है बहुत अच्छी तरह से भी लोग चले जाते हैं दुख के साथ चले जाते हैं जाना तो जाना ही होता है आज के इस अवसर पर जो आपने कार्यक्रम आयोजित किया मुझसे बात किया था मैंने कहा बहुत अच्छा रहेगा उनसे परिचित लो दोस्त बाकी लोग खासकर जो जबलपुर में ही हैं एक बार एक साथ उन लोगों से भी इन लोगों की मुलाकात हो जाएगी और डॉक्टर अग्रवाल के विषय में कुछ बोलने का और अपने विचार प्रस्तुत करने का मौका मिल जाएगा मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं कि डॉक्टर जी डी अग्रवाल की आत्मा को शांति प्रदान करें व उनके परिवार परिचित संबंधित सभी को असहनीय दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें ओम शांति 

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