Dr PK Bisen
Senior Professor & Scientist JNKWW
Year of Association : ----------------
My Story
आदरणीय सज्जनों आज से 49 वर्ष पूर्व पहले मैं प्रथम वर्ष का छात्र था जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में तो आदरणीय डॉक्टर जी डी अग्रवाल साहब हमारे टीचर थे वह हमें पढ़ाई तब से लेकर आज तक 50 साल का उनका साथ उनका सहयोग उनका मार्गदर्शन रहा मैंने कभी जीवन में कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसे दिन भी अग्रवाल साहब को याद करने के लिए ऐसे खड़े होना पड़ेगा ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ेगा बड़ी पीड़ा हो रही है बड़ी तकलीफ हो रही है दर्द हो रहा है हम लोग कभी भी नहीं चाहते कभी अपने स्वजन वह आत्मीय एवं आत्मीय जन के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम में जाएं कभी नहीं चाहते
जीवन में ऐसे दिन भी देखना पड़ता है तकलीफ हुई 20 तारीख को अग्रवाल साहब की स्वर्गवास की खबर सुनी 18 तारीख को ही मेरी चर्चा हुई थी कह रहे थे कि मैं जनवरी के फर्स्ट वीक में जबलपुर आ जाऊंगा फिर बैठ कर चाय पिएंगे साथ में अपनी पत्नी को साथ में लेकर आना फिर सब लोग बैठ कर चाय पिएंगे 20 तारीख को अचानक यह खबर मिली तो विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि ऐसे कैसे हो गया ऐसा व्यक्ति ऐसा व्यक्तित्व ऐसा कथित कथित 50 साल से हम लोग देखते रहे कभी उनके साथ ऐसा क्षण आएगा कल्पना भी नहीं कर सकते थे इस बात की कीमैं व्यक्तिगत रूप से आदरणीय डॉक्टर जी डी अग्रवाल साहब की पीछे तस्वीर होगी और हम सामने बैठकर इस हम लोगों को इस तरह की इस तरह की बातें करना पड़ेगा बहुत पीड़ा हो रही है बहुत तकलीफ हो रही है शब्दों द्वारा इसे व्यक्त नहीं किया जा सकता है मैंने उन्हें अपने गुरु के रूप में देखा जब हम लोग स्टूडेंट थे वह हमारी क्लास लेते थे जब वह सामने खड़े होते थे तो उनका एक अलग व्यक्तित्व था उनका व्यक्तित्व अलग प्रकार का प्रभाव डालता था कि हम लोग देखते थे की आमतौर पर कि आमतौर पर प्रोफेसर पढ़ाने आते थे तो आधी क्लास सोती थी लेकिन अग्रवाल साहब क्लास में कभी भी मेज के पीछे सेल लेक्चर नहीं एक कोर्स पढ़ाए वह छात्राओं के बीच में खड़े होकर लेक्चर देते हैं मजाल क्या कोई बच्चा ध्यान ना दें या सो जाए इस प्रकार उनकी लेक्चर की डिलीवरी होती थी लेक्चर के समय उनकी एक अलग बॉडी लैंग्वेज होती थी उनका एक कम्युनिकेशन स्किल था आप लोगों ने बाकी चीजों का अनुभव देखा होगा इसी से आप लोग समझ गए होंगे उनके पास जो कला थी परीक्षण की वह कला उनके पास उनके पास थी आने वाले को अपने व्यक्तित्व से कैसे प्रभावित कर लेते थे यह कला उनके पास थी जो उनसे एक बार मिल लेता था वह जीवन पर्यंत उनका हो जाता था मैं जीवन भर 50 साल से उनका हूं यहां डॉक्टर सीबीसी सिंह डॉक्टर खान डॉ सच्चिदानंद और अनेक एग्जांपल यहां बैठे हैं उनकी बात कर रहा हूं जो एक बार अग्रवाल साहब से मिलता था जीवन पर्यंत उनका हो जाता था अचानक ऐसा व्यक्ति चला जाए पूरे विश्व विद्यालय को इस बात का जबरदस्त दुख है कि वह दिलों पर राज करने वाले व्यक्ति थे हमारे तो वह शिक्षक रहे शिक्षा तो केवल एक विषय की तथा मुझे जीवन पर्यंत शिक्षा दी शिक्षा तो वह होती है जो विषय का स्थानांतरण करें उन्होंने हमारा यह कोर्स पढ़ाया था जो शिक्षक एक कोर्स बढ़ाएं और जीवन पर्यंत उनका हो जाए उससे बड़ी शिक्षा क्या हो सकती है जिस प्रकार प्रभावित करने की कला उनकी थी जिसके कारण उन्हें विद्यार्थी बहुत पसंद करते थे इतने दयालु व हेल्पिंग थे किसी भी समय आप कह दीजिए तुरंत तत्पर रहते थे एक संबंध उनका मेरा शिक्षा कथा और दूसरा दीक्षा कथा जो पूरे जीवन पर्यंत रहा जब हम लोग चुनाव चुनाव लड़के थे पदाधिकारी बनते थे आप हमें बताते थे पूरी चुनाव संरक्षण संरचना का ज्ञान देते थे जब मैं दीन डायरेक्टर बना तो हमेशा गाइड करते थे जब मैं वाइस चांसलर बना तब भी हमें हमेशा सप्ताह में कम से कम दो बार मार्गदर्शन देते थे हमेशा कहते थे कि तुम्हें यहां ऐसा करना चाहिए ऐसा नहीं करना चाहिए चाहे वह बेंगलुरु में रहें या जबलपुर में हमेशा मेरा मार्गदर्शन करते रहे ऐसे शानदार व्यक्ति यहां ऐसा गलत हो रहा है तुम्हें ऐसा करना चाहिए ऐसा बोलना है मार्गदर्शन रहता था ऐसे शिक्षक मार्गदर्शक रहे हैं आज मैं अपने विश्वविद्यालय की ओर से उनके द्वारा पढ़ाई हुए विद्यार्थियों की ओर से उनके मित्रों और साथियों की ओर से उनके चरण कमलों में श्रद्धा सुमन श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं कि प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि ऐसे शानदार व्यक्ति को अपने चरण कमलों में स्थान दें तथा उनके परिवार परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें यही प्रार्थना करता हूं ओम शांति शांति शांति
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